में यदि हूँ कहीं
ढूंढो यहीं कहीं
कह रहा इसलिए
सुन लिया बतकही
ढूंढो यहीं कहीं
कह रहा इसलिए
सुन लिया बतकही
मत पूछो मेरा पता
व्योम धरा है ज़मीं
यह स्व उन्माद नहीं
होती सब में कमी
रात्रि प्रहर में सोचना
चाहतों की है नमी
सोचता मन आपको
दिखती नहीं कमी।।
धीरेन्द्र सिंह
11.10.202
22.02
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