रचनात्मकता लुप्त हो जाती है
जब उनके
टाईमलाइन पर होती है प्रस्तुत
दूसरों की लिखी रचनाएं,
इसका सीधा अर्थ, चुक गए हैं
प्रयास
अन्य की रचना से जगमगाएं,
रचनात्मक चापलूसी है यह
अन्यथा
एक रचनाकार श्रेष्ठ रचे
न कि
दूसरे की रचना ले बसे,
बस यही कहानी है
लेखन की रवानी है
खुद श्रेष्ठ लिख न सकें
अन्य की रचना बानी है,
एक स्वस्थ लेखन अभाव है
हिंदी लेखन रिश्ता गांव है
तू मेरी गा दे सुर में तो
और गूंजता कांव-कांव है
प्रतिभा है तो लिखिए
क्यों
दूसरों की रचनाएं हैं परोसते
कौन सी जुगाड़ू
अपनी नई राह है खोजते,
अस्वीकार है यह परंपरा
हिंदी चलन यह सिरफिरा
अपनी गति लयबद्ध रखें
शेष हैं स्थापित हराभरा।
धीरेन्द्र सिंह
09.03.2025
12.23
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