अबकी संभल चलिए उत्सवी टोली में
रंग-रंग तरंग लगे बाधित क्यों होली में
रंगों की यदि बात करें सर्वश्रेष्ठ तिरंगा
दीवानों-मस्तानों से बना राष्ट्रीय झंडा
तब सब रंग विहंग थे उत्सवी बोली में
रंग-रंग तरंग लगे बाधित क्यों होली में
अपनों में परिचित समूह तक है सीमा
अबीर-गुलाल उड़ान गति लागे धीमा
चौहद्दी सी रही उभर सबकी रंगोली में
रंग-रंग तरंग लगे बाधित क्यों होली में
मुट्ठीभर रंग-गुलाल से व्यक्तित्व सजाऊँ
आ मिल रंगकर होरी गाएं खुशियां लुटाऊं
होली के दिन रंग जाएं सब हमजोली में
रंग-तरंग लगे बाधित क्यों होली में।
धीरेन्द्र सिंह
12.03.2025
13.12
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