मेरी साँसों में छाई बदलियां हैं
हवाएं अनजानी चल रही हैं नई
सुगंध एक सा है शामिल सब में
दिल में गुनगुना रहे है बसंत कई
कौन घिर आया बिना आहट बेसबब
अदब की सुर्खियों में है तालीम नई
बदलियां शोख कभी खामोश लग रहीं
अदाओं में किसी के तो मैं शामिल नहीं
बरस जाएं तो बदलियों को आराम मिले
सिलसिले साँसों के रियाज कर रहे हैं कई
सुगंध मतवारी हवा संग छू रही ऐसे
शोखियाँ उम्र की दहलीज पर हो छुईमुई
कभी तन उड़ रहा तो मन रहे गुपचुप
बदलियां साँसों में छुपछुप करें खोज कई
एक एहसास की तलाश है जमाने में
कयास के प्रयास से मिल जाए सोच नई।
धीरेन्द्र सिंह
07.02.2025
10.35
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