गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025

बदलियां

 मेरी साँसों में छाई बदलियां हैं

हवाएं अनजानी चल रही हैं नई

सुगंध एक सा है शामिल सब में

दिल में गुनगुना रहे है बसंत कई


कौन घिर आया बिना आहट बेसबब

अदब की सुर्खियों में है तालीम नई

बदलियां शोख कभी खामोश लग रहीं

अदाओं में किसी के तो मैं शामिल नहीं


बरस जाएं तो बदलियों को आराम मिले

सिलसिले साँसों के रियाज कर रहे हैं कई

सुगंध मतवारी हवा संग छू रही ऐसे

शोखियाँ उम्र की दहलीज पर हो छुईमुई


कभी तन उड़ रहा तो मन रहे गुपचुप

बदलियां साँसों में छुपछुप करें खोज कई

एक एहसास की तलाश है जमाने में

कयास के प्रयास से मिल जाए सोच नई।


धीरेन्द्र सिंह

07.02.2025

10.35




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