"किसने मना किया है"
वह बोल उठी
और
उठा एक वलय
तत्क्षण मेरे मन मे
कि हां
गलत मैं ही हूँ,
बड़ा आसान होता है
कर देना टाइप
शुभ प्रभात या शुभ दिन
पर प्रतिदिन मात्र यही ?
नहीं न
फिर यदि कुछ टाइप किया जाए
तो निजता उभर आती है
और
रोक देती है यही सोच
प्रतिदिन टाइप करने से,
दो-तीन बार
हुआ है टाइप
हल्का उन्मुक्त संवाद
सहम कर थम कर
उसने भी किया है टाइप
जिसमें एक अलिखित
रेखा थी,
बस रुक गया
सहमकर नहीं
सम्मान से,
आज अचानक
हो गया संवाद
“इस बहाने मेरी याद तो आई”
टाइप की वह
और हो गया मैं हतप्रभ
हो गया टाइप
"रोज करता हूँ याद"
वह तत्काल टाइप की
"मैसेज किया करो न
किसने मना किया है।"
धीरेन्द्र सिंह
04.02.2025
22.06
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