मैं नारी...
हकीकत नहीं हूँ,
स्वप्न हूँ
स्पंदन हूँ
क्रंदन हूँ
अभिनंदन हूँ
गनीमत हूँ
हकीकत नहीं हूँ
पुरुष रचित समाज
नारी बस काज
संवेदना
सहेजना
झेलना
मेल्हना
वेदना हूँ
हकीकत नहीं हूँ
मैं नारी...
भावनाओं की
चित्रकारी
किलकारी
दुलारी
खुमारी
दुश्वारी हूँ
हकीकत नहीं हूँ।
धीरेन्द्र सिंह
14.02.2025
06.16
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