शब्द को निहार कर
भाव को निथार कर
आप लिखे, पढ़ा किए
और मन मढ़ा किए
सृष्टि के विधान में
दृष्टि के सम्मान में
जो जिए पकड़ लिए
जीभर कर फहर लिए
लिख रहें और लिखिए
शब्द भाव न बदलिए
सत्य अभिमान लिए
अपने आसमान लिए
शब्द ही प्रारब्ध है
स्तब्ध ही आबद्ध है
एक जीवन के लिए
कतरन संजीवन के लिए।
धीरेन्द्र सिंह
03.02.2025
23.09
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