शनिवार, 11 जनवरी 2025

तासीर

 मत आइएगा मैसेंजर पर मेरे

तासीर आपकी मुझको है घेरे


एक दौर मिला था बन आशीष

किस तौर बातें जाती थीं पसीज

यूं मैसेंजर देखूं सांझ और सवेरे

तासीर आपकी मुझको है घेरे


इंटरनेट पर भी खेत सरसों फूल

पुष्पवाटिका जिसमें चहचाहट मूल

हम थे चहचहाये लगा अपने टेरे

तासीर आपकी मुझको है घेरे


भावनाओं की डोली का नेट कहार

दुर्गम राह पर भी चले कदम मतवार

वो बातें वो लम्हे जैसे आम टिकोरे

तासीर आपकी मुझको है घेरे।


धीरेन्द्र सिंह

09.01.2025

07.13



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