होली यह पढ़ हुई मालामाल
“मीते के गाल पर गुलाल”
"वाह! मन गयी अबकी होली"
प्रफुल्लित अंतर्चेतना तब बोली
भाव-भाव मिल रंग धमाल
“मीते के गाल पर गुलाल”
सोशल मीडिया पर की होली
रंग-ढंग सज होती है ठिठोली
गहन भाव शब्द हियताल
“मीते के गाल पर गुलाल”
गालों पर है गुलाल नृत्य
रंगोत्सव आता नहीं नित्य
प्रणय प्रेरणा कर गयी निहाल
“मीते के गाल पर गुलाल।“
धीरेन्द्र सिंह
25.03.2024
13.41
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें