खिंची प्रत्यंचा
प्रति व्यक्ति का यथार्थ
आज भी सत्य है
संघर्ष ही पुरुषार्थ,
मुस्कराहटें कमअक़्ली हैं
कौन जाने यथार्थ या नकली हैं
वर्तमान को व्यक्ति खेता है
मूलतः व्यक्ति अभिनेता है;
घर के संबंधों में
जुड़ाव निर्विवाद है
पर भावना कितनी कहां
इसपर मूक संवाद है,
चेतना की तलहटी पर
वेदना की फसल झूमे
मंडी में धूम मची
यह फसल बेमिसाल है;
विज्ञापन युग कौशल में
उत्पाद ही चमत्कार है
व्यक्ति हो रहा विज्ञापित
बाजार ही आधार है,
समय प्रदर्शन का है
दर्शन तो एक प्रकार है
तरंगित सतह लगे प्रबल
तलहटी को क्या दरकार है;
घर बदल रहा रूप
गृह ऋण का संवाद है
ईएमवाई पर जीवन जीना
अधिकांश का वाद है;
चार्वाक प्रबल बोलें
"ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत"
वर्तमान की क्रिया यही
सत्य यह निर्विवाद है।
धीरेन्द्र सिंह
14.12.2025
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