सर्दियों में सिहर गईं गुठलियां
माटी भी ऊष्मा अपनी खोने लगी
ऋतु परिवर्तन है या आकस्मिक
घाटी भी करिश्मा से रोने लगी
सर्दियों की बनी थीं कई योजनाएं
कामनाएं गुठली को संजोने लगी
वादियों की तेज हवा मैदानी हो गयी
भर्तस्नायें जुगत सोच होने लगीं
सुगबुगाहट युक्ति की प्रथम आहट
सर्दियां थरथराहट आदतन देने लगी
गुठलियां जुगत की जमीन रचीं
उर्वरक अवसाद भाव बोने लगीं
मौसम परास्त कर न सका गुठलियां
पहेलियां गुठली नित रच खेने लगीं
कल्पना के चप्पू से दूर तलक यात्रा
गुठलियां जमीन को स्वयं पिरोने लगीं।
धीरेन्द्र सिंह
19.08
17.11.2025

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