शुक्रवार, 7 नवंबर 2025

अर्धरात्रि

अर्धरात्रि हो चली है

और मन

किसी महिला से

चैट करने को आमादा है,

प्रयास मेसेंजर को

खंगाल लिया पूरा

कोई भी ऑनलाइन नहीं,


कामनाएं पुष्पित हो

चाहत की सुगंध

कर रही हैं प्रसारित,

कोई भी ऑनलाइन नहीं

यही तथ्य है

और सुविचारित,


अर्धरात्रि को मन

प्यार की बात करे

यह पुरानी सोच है,

कोई मिले आने सा

जिससे कह दें

भावना9न कि मोच है,

बड़े कारगर होते हैं

नारीत्व के विवेकवाहक

कर देते हैं व्यवस्थित

चुटकियों में,


एक बार फिर टटोला

मेसेंजर को

कोई नारी ऑनलाइन नहीं,

इसे ही कहते हैं भाग्य

प्रारब्ध के संवाहक यही,

हंसी आ रही है आपको

हम यूँ एकल बाह जाएं

इससे अच्छा कि

हम सो जाएं।


धीरेन्द्र सिंह

07.11.2025

23.26

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