मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

सामर्थ्य

प्यार कहे बोल दे पर बोल भी नहीं पाए
सामर्थ्य सोया सा लगे जब प्यार हो जाए

हर गगन में चांद की अठखेलियाँ ही लगें
तारों के बीच भी बादल बहेलियां ही लगें
चांदनी की शीतलता हवा को भी भरमाए
सामर्थ्य सोया सा लगे जब प्यार हो जाए

तुम अतीत तुम व्यतीत तुम ही तो मेरे मीत
भावनाएं गुनगुनाती शब्द सज बनते हैं गीत
कौन तुमसे जुड़कर भी मुडकर बहक पाए
सामर्थ्य सोया सा लगे जब प्यार हो जाए

तुम कब एक व्यक्तित्व में समा जानेवाली
तुम एक तरंग हो महत्व की दिया बाती
तुमको सोचे तुमको जिए तुमको ही गाए
सामर्थ्य सोया सा लगे जब प्यार हो जाए।

धीरेन्द्र सिंह
22.10.2025
00.10

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