कोहराम है जीवन आराम कब करें
मुस्कराएं भी ना क्यों यह हद करें
सब ठीक है ईश्वर की कृपा बनी है
कैसे कहे मन की अपनों में ठनी है
विषाद भरा मन अधर क्षद्म मद भरे
मुस्कराएं भी ना क्यों यह हद करें
अभिभावक, दम्पत्ति भी करें अभिनय
सामाजिक दायरै में दिखावे का विनय
संतान देख परिवेश उसी ओर डग भरें
मुस्कराएं भी ना क्यों यह हद करें
अपवाद कभी भी नियम नहीं होता
मुक्ति कहां देता कलयुग का गोता
वैतरणी कब मिलेगी है जग डरे
मुस्कराएं भी ना क्यों यह हद करें।
धीरेन्द्र सिंह
19.12
09.10.2025
#कोहराम#मुस्कराएं#दम्पत्ति#वैतरणी
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