सुनो प्यार करने के लिए जानना जरूरी है
सितारे भरे आकाश हेतु जागना जरूरी है
सुलग गयी हृदय में भाव कुछ नई खिली
उस भाव से भी भागना कहो क्या जरूरी है
तुमसे मुझे प्यार है कहना नहीं है दबंगता
प्यार कसकर छुपा लें यह कैसी मजबूरी है
हृदय के स्पंदन कर रहें आपका अभिनंदन
चीख चिल्लाकर कहना प्यार क्या जरूरी है
हाँ जो बंध गए हैं बंधनों में समाज खातिर
ऐसे लोग नहीं मानव चर्चा क्या जरूरी है
व्यक्ति स्वयं के स्पंदनों संग जी ना सके तो
स्वतंत्र व्यक्ति नहीं वह उसकी बात अधूरी है
चंचल नहीं प्रांजल नहीं आदर्शवादिता नहीं
जीवन की सहज कामनाएं भी जरूरी है
सहज व्यक्ति सा सीमाओं संग उड़ रहे हैं
आप संग उड़ें ना उड़ें नहीं यह मजबूरी है।
धीरेन्द्र सिंह
29.10.2025
20.26
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