बुधवार, 29 अक्टूबर 2025

जरूरी है

 सुनो प्यार करने के लिए जानना जरूरी है

सितारे भरे आकाश हेतु जागना जरूरी है

सुलग गयी हृदय में भाव कुछ नई खिली

उस भाव से भी भागना कहो क्या जरूरी है


तुमसे मुझे प्यार है कहना नहीं है दबंगता

प्यार कसकर छुपा लें यह कैसी मजबूरी है

हृदय के स्पंदन कर रहें आपका अभिनंदन

चीख चिल्लाकर कहना प्यार क्या जरूरी है


हाँ जो बंध गए हैं बंधनों में समाज खातिर

ऐसे लोग नहीं मानव चर्चा क्या जरूरी है

व्यक्ति स्वयं के स्पंदनों संग जी ना सके तो

स्वतंत्र व्यक्ति नहीं वह उसकी बात अधूरी है


चंचल नहीं प्रांजल नहीं आदर्शवादिता नहीं

जीवन की सहज कामनाएं भी जरूरी है

सहज व्यक्ति सा सीमाओं संग उड़ रहे हैं

आप संग उड़ें ना उड़ें नहीं यह मजबूरी है।


धीरेन्द्र सिंह

29.10.2025

20.26


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