रविवार, 19 मई 2024

चिंतन

 

जो जितना पढ़ेगा

वह उतना भिड़ेगा

अंधकार दूर कर

ज्योति वह तिरेगा

 

पुस्तक मात्र नहीं

दृष्टि जो मढ़ेगा

पुस्तक से बेहतर

विचार वह नढ़ेगा

 

धार्मिक पुस्तकें विशिष्ट

चिंतन पढ़ फहरेगा

शेष जीवन दिखलाता

समझा वही बढ़ेगा

 

सीख नहीं क्षोभ

दर्द ऐसे कहरेगा

भाषा, चिंतन, अभिव्यक्ति

भविष्य को तरेगा।

 

धीरेन्द्र सिंह

19.05.2024

13.53



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