वह कभी नहीं चाहती
कविता लिखूं और
कर दूं पोस्ट उसे
बल्कि
उलाहने देते
सजा देती है
मेरी कविता को
किसी उपयुक्त चित्र
या फोटो से
और
उस रचना में ढल
बन जाती है
खुद कविता
कद्रदान लोग
करते हैं लाइक
यह सोचकर कि
एक अच्छी कविता लिखा हूँ।
धीरेन्द्र सिंह
वह कभी नहीं चाहती
कविता लिखूं और
कर दूं पोस्ट उसे
बल्कि
उलाहने देते
सजा देती है
मेरी कविता को
किसी उपयुक्त चित्र
या फोटो से
और
उस रचना में ढल
बन जाती है
खुद कविता
कद्रदान लोग
करते हैं लाइक
यह सोचकर कि
एक अच्छी कविता लिखा हूँ।
धीरेन्द्र सिंह
जतन कीन्हा अनजानी डगरिया
वतन चिन्हा रंगदानी गुजरिया
सीमा पर प्रहरी भीतर लहरी
रिश्ता पकड़ हर डोर ठहरी
अजब-गजब लागे नजरिया
वतन चिन्हा रंगदानी गुजरिया
सिंदूर लगे कपाल का दिव्य भाल
सपूत बन सैनिक मजबूत ढाल
गर्वित मुहल्ला संग नगरिया
वतन चिन्हा रंगदानी गुजरिया
ढंग है तरंग है सोच भी पतंग
गांव-गांव गीत और शहर मृदंग
झूमे देश गर्वभरी ले लहरिया
वतन चिन्हा रंगदानी गुजरिया।
धीरेन्द्र सिंह
एक मोटी परत धूल
छंट रही बादलों सी
मन लगा स्वतंत्र हुआ
ना जाने लगी किसकी दुआ
एक कोमल पाश रचनात्मक
पल प्रति पल सृजनात्मक
लेखनीय अर्चना को छुवा
कौन था वह हमनवां
चुन लिया पथ अलग
धूनी नई जगा अलख
कौन किससे अलग हुआ
विश्वास एक गरल हुआ
लग रहा था कैद
पर था दिल मुस्तैद
भूमिका प्रदर्शन मालपुआ
भ्रमित होकर बुर्जुआ।
धीरेन्द्र सिंह
देह दलन
कैसा चलन
व्यक्ति श्रेष्ठ
आवश्यकता ज्येष्ठ
विवशता लगन
कैसा चलन
प्रदर्शन परिपुष्ट
प्रज्ञा सुप्त
वर्चस्वता सघन
कैसा चलन
शौर्य समाप्त
चाटुकारिता व्याप्त
अवसरवादिता मनन
कैसा चलन
देह परिपूर्णता
स्नेह धूर्तता
प्यार गबन
कैसा चलन।
धीरेन्द्र सिंह
तिरस्कृत प्यार
जानबूझकर हो
या हो अनजाने में,
यादें उठती
भाप सरीखी उड़ती
घर हो या मयखाने में;
सुंदर हो बाहुपाश
हो समर्पित विश्वास
यादें मिले तराने में,
कौन बहेलिया
बहलाए सांस
बदले निजी जमाने में;
अनुगामी यादें
टूटे ना वह नाते
त्यजन गरमाने में,
वशीकरण वशीभूत
भावनाओं का द्युत
जीवन को भरमाने में;
दूरी कैसी
लिप्सा मजबूरी जैसी
चाहतें हर जाने में,
जानेवाले जाएं कहां
यादों से रहे नहा
युग्मित गुसलखाने में।
धीरेन्द्र सिंह
अमौ हाजी
ज़िंदगी से बाजी
सत्तर वर्ष न नहाया
फिर भी मारी बाजी
अमौ हाजी
कैसे जिया कैसे पिया
लोग न थे राजी
रहा भय से लिपटा
फिर भी मारी बाजी
अमौ हाजी
अंग्रेजी का कठिन शब्द
अब्लूफोटोबिया हिंदी निःशब्द
हिंदी शब्द खाए कलाबाजी
फिर भी मारी बाजी
अमौ हाजी
हिंदी में तुमको लिखा
विज्ञान को गए सिखा
समझ न पाया धुनबाजी
फिर भी मारी बाजी।
धीरेन्द्र सिंह
(अमौ हाजी विश्व का सबसे गंदा व्यक्ति जो 70 वर्ष तक नहीं नहाया क्योंकि वह नहाने से डरता था। काफी दबाव पर जब वह नहाया तो बीमार पड़ गया और 92 वर्ष में मर गया)
विकल्प
विकल्प होना
संभव है संकल्प में
संकल्प होना
संभव कहां अल्प में,
स्थिर मन होता है संकल्पित
या विकल्पित
अपने संस्कार अनुसार
मन का खोले द्वार,
विकल्प तलाशता है
बुनता ताना-बाना
परिचित से हो अपरिचित
अनजाने को कहे पहचाना,
संकल्प और विकल्प
जीवन के दो धार
संकल्प से हो उन्नयन
विकल्प ध्वनि बस "यार"।
धीरेन्द्र सिंह