शनिवार, 19 अक्टूबर 2024

बदरी

 पर्वतों की तलहटी

श्वेत नदी अनुभूति

सूर्योदय संग उठती

बदरी सी दे प्रतीति


धीरे-धीरे उठते बादल

जैसे पहाड़ी गीत

गहन सघन गगन 

पर्वत आगे श्वेत भित्त


कोहरा या बादल

हैं पहाड़ मीत

हैं पहाड़ बतलाते

प्रकृति जीव रीत


सब धवल उन्मुक्त

हवाएं रच गीत

पहाड़ियों की गुंजन

ऊर्जा उत्साहित सींच।


धीरेन्द्र सिंह

19.10.2024

20.23, महाबलेश्वर



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें