रविवार, 20 अक्टूबर 2024

उम्र

 जीवन सत्य है, उम्र एक पड़ाव

अनुभूतियों में रिश्ते अनेक छांव


बढ़ती हुई उम्र की अपनी रीतियाँ

अपने लागों बीच हैं अनेक ठाँव

व्यक्ति क्या चाहता सृष्टि जानें

अनुभूतियों में रिश्ते अनेक छांव


अद्भुत व्यक्तित्व मिले हर मोड़

जोड़तोड़ जीवन को देता रहा पांव

मां-पिता का सानिध्य अबोला है

अनुभूतियों में रिश्ते अनेक छांव


नियति भी नियत है लेकर नेमत

जीवन डगर अपनी कुछ छाले घाव

प्रसन्नताएँ आशीष बन रहीं बरस 

अनुभूतियों में रिश्ते अनेक छांव।


धीरेन्द्र सिंह

21.10.2024

06.31




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