शुक्रवार, 28 जून 2024

बहार

 हृदय की अनुभूतियों में कोमल सा छन्न

धन्य उस अनुभूति का एकाकार हो गया

भावनाएं उत्सवी उल्लास में हंगामा करें

धड़कनें आतिशबाजी सी कहें प्यार हो गया

 

ऑनलाइन लाइक करती यही उनका धूप

डीपी का चेहरा अनुरागी कहांर हो गया

मेरी प्रत्येक पोस्ट पर आगमन हो उनका

देखते ही देखते मन खोल द्वार खो गया

 

ऐसी भी हो रही हैं अब रचित कद्रदानियां

प्रणयवादियों में नवीन अविष्कार हो गया

प्यार तो अंतर्मन की पुलकित फुलवारी है

वह समझें ना समझें जीवन बहार हो गया।

 

धीरेन्द्र सिंह

29.06.2024

07.59



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