हृदय की अनुभूतियों में कोमल सा छन्न
धन्य उस अनुभूति का एकाकार हो गया
भावनाएं उत्सवी उल्लास में हंगामा करें
धड़कनें आतिशबाजी सी कहें प्यार हो गया
ऑनलाइन लाइक करती यही उनका धूप
डीपी का चेहरा अनुरागी कहांर हो गया
मेरी प्रत्येक पोस्ट पर आगमन हो उनका
देखते ही देखते मन खोल द्वार खो गया
ऐसी भी हो रही हैं अब रचित कद्रदानियां
प्रणयवादियों में नवीन अविष्कार हो गया
प्यार तो अंतर्मन की पुलकित फुलवारी है
वह समझें ना समझें जीवन बहार हो गया।
धीरेन्द्र सिंह
29.06.2024
07.59
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