होली
भींगी दरस तुम्हारी गुईंया
अबकी होली रंगदारी में
नस-नस भींगे अकुलाए
कैसी लगन रसदारी में
नैन चैन सब छीने तकते
अंखियन की गुलकारी में
जैसे होती बिदाई में
लिपटे बिटिया महतारी से
होली तुमसा बदल गयी है
आकर्षण की छविकारी में
अब कहाँ वह भाव-भंगिमा
नयनों की रिश्तेदारी में
हाँथ गुलाल मल गाल लाल
अंगों की तरफदारी में
तुम भी कुछ ऐसी हो बहकी
लोगों की छीछेदारी में
होली में भावों की टोली
बोली कबीरा लयकारी में
रंग-रंग बौराए उड़ते
चाहत की सिसकारी में।
धीरेन्द्र सिंह
होली तुमसा बदल गयी है
जवाब देंहटाएंआकर्षण की छविकारी में
अब कहाँ वह भाव-भंगिमा
नयनों की रिश्तेदारी में
.. सच अब वह होली कहाँ रही
बहुत सुन्दर
होली की हार्दिक शुभकामनाएं