बुधवार, 3 अगस्त 2022
उड़ गई गौरैया
मंगलवार, 24 मई 2022
अपहरण
नदिया
आघात
गुरुवार, 12 मई 2022
पर्देदारी
सत्य सजल नयन उपवन
भावों की अविरल शीतलता
हर सृष्टि रचे अपनी धुन में
जग अपनी रचे लखि नीरवता
शब्दों का क्षद्म उपयोग नहीं
संवाद प्रवाहित निर्मल सरिता
हर लहर फहर दिल तक धाए
अनकहे प्रवाहित सबल धरिता
पट खोल लिए रचि पर्देदारी
कुछ दरद चटक निज करिता
यह भी एक संवाद सुफल जग
एक भाव लिए जीवन चरिता।
धीरेन्द्र सिंह
बुधवार, 11 मई 2022
ढह रही वह
एक मेरी सर्जना विकसित अंझुरायी
भावनाएं अति चंचल कृति घबराई
लड़खड़ाहट में टकराहट की ही गूंज
फिर भी न जाने रहती है इतराई
रुक गयी है इसलिए ढह रही वह
भ्रमित लोगों की है थामे अंजुराई
एक टीला गुमसुम ताकता है राह
जीवंतता दमित निष्क्रियता में दुहाई
मनचलों का मनोरंजनीय टीम
मन के हर चलन की ऋतु छाई
कामनाओं की झंकार झूमे नित
सर्जना में निज अर्चना मन भाई।
धीरेन्द्र सिंह
सोमवार, 11 अप्रैल 2022
अजान और चालीसा
धर्म वर्चस्वता स्वाभाविक
अर्चनाएं भी जरूरी
अजान की गूंज पाक
हनुमान चालीसा ना मजबूरी,
सौम्य और शांत धर्म
कोलाहल भूने जैसे तंदूरी
लाउडस्पीकर मस्जिद में ऊंचा
रामबाण भी तो प्रथा सिंदूरी
माला सब जपें तो पुकार क्यों
धर्म निजता ना जी हुजूरी
धर्म नव व्यवस्थाएं मांगे
कामनाएं सबकी हों अवश्य पूरी।
धीरेन्द्र सिंह
12.04.2022
08.42