चुरा ले गया कोई कविता की तरह
यह आदत नहीं अनमनी प्यास है
छप गयी नाम उनके चुराई कविता
हिंदी लेखन की हुनहुनी आस है
छपने की लालसा लिखने से अधिक
चाह लिखने की पर क्या खास है
इसी उधेड़बुन में चुरा लेते हैं साहित्य
यह मानसिक बीमारी का भास है
मित्र बोलीं फलाना समूह में हैं चोर
हिंदी साहित्य लेखन के श्राप है
कहने लगी साहित्य छपने में है लाभ
वरना यत्र-तत्र लेखन तो घास है
मित्र की बात मान दिया सम्मान
प्यास की राह में सबका उपवास है
मनचाहा मिले तो कर लें ग्रहण
चोरियां भी साहित्य में होती खास हैं।
धीरेन्द्र सिंह
08.04.2024
16.06
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