सोमवार, 2 अक्टूबर 2023

दरवाजा न खुलेगा

 आप गए, लिस्ट नया नाम बोलेगा

क्यों आए ? दरवाजा न खुलेगा


मेरे संपर्क के हैं कई दीवाने

आप जैसा न साहित्य तराने

करें नहीं बात वरना भेद खुलेगा

क्यों आए ? दरवाजा न खुलेगा


लूटा है मीत मन और अर्थ भी

होकर दुखी छोड़ आए हैं सभी

एक और टूटन है, दर्द ख़ौलेगा

क्यों आए ? दरवाजा न खुलेगा


मिला है नया धोखा कोई न बात

मुझको मिला मैं भी प्रदाता आघात

मैं हूँ उड़नखटोला न थाह मिलेगा

क्यों आए ? दरवाजा न खुलेगा


खूब सेंक ली साहित्यिक रोटियां

खेलने को है विभिन्न दो प्रतियां

अब चुक गए हो, न चाह हिलेगा

क्यों आए ? दरवाजा न खुलेगा


आधुनिकता में कैसी यह भावनाएं

दिल की जो सुने आती है यातनाएं

जो साथ है अभी उसे न दिल भूलेगा

क्यों आए ? दरवाजा न खुलेगा।


धीरेन्द्र सिंह

02.10.2023

14.30



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