छुवन तुम्हारी चमत्कारी एहसास है
सूखते गले में कुछ बूंदें तो टपकाईये
प्यास लिए आस वह लम्हा लगे खास
पास और पास एक विश्वास तो बनाइये
प्यार उन्माद में कभी आप तो तुम कहूँ
बहूँ अनियंत्रित भाव लहरें ना छलकाईये
मेरी मंत्रमुग्धता सुप्तता आभासित करे
जागृत जीवंत मनन आराध्य तो बन जाईये
कोमल काया को बंधनी स्पर्श दे उत्कर्ष
सहर्ष बिन सशर्त प्रेम सप्तक तो जगाइए
मेरे शब्दों में अर्चना है प्रीत धुन लिए नई
अपने स्वरों में ढाल कभी मुझे तो गुनगुनाइये।
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