शनिवार, 16 अक्टूबर 2021

छुवन तुम्हारी

 छुवन तुम्हारी चमत्कारी एहसास है

सूखते गले में कुछ बूंदें तो टपकाईये

प्यास लिए आस वह लम्हा लगे खास

पास और पास एक विश्वास तो बनाइये


प्यार उन्माद में कभी आप तो तुम कहूँ

बहूँ अनियंत्रित भाव लहरें ना छलकाईये

मेरी मंत्रमुग्धता सुप्तता आभासित करे

जागृत जीवंत मनन आराध्य तो बन जाईये


कोमल काया को बंधनी स्पर्श दे उत्कर्ष

सहर्ष बिन सशर्त प्रेम सप्तक तो जगाइए

मेरे शब्दों में अर्चना है प्रीत धुन लिए नई

अपने स्वरों में ढाल कभी मुझे तो गुनगुनाइये।

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