शनिवार, 11 मार्च 2017

रंग-रंग परिवेश है, लेकर अपनी आस
चाहत चठख रंग तलाशे, अपनी-अपनी प्यास
फागुन आया लिए फुहारें, तन-मन हर्षाए
नयन-नयन पिचकारी, ढूंढे कोई ख़ास

कान्हा-कान्हा पुरुष बने, नारी राधा हिय साथ
अर्पित मन अकुलाय के, मांगे प्रीत विश्वास
अबीर-गुलाल कमाल किए, हिय से हिय छुए
हर्ष-विषाद सब रंग हुए, बन एक दूजे के ख़ास

विपुल संपदा, व्यापक संस्कृति, जग पाए गति
 रंग बिखेरें छटाएं और फागुन भारत उल्लास
सभी भाव मुखरित हों, सब के माफिक रंग
समरसता की होली यह मन में लाए मधुमास

फागुन एक त्यौहार नहीं जीवन का रसधार
रंग लगाकर हर्षित हो मन स्नेह का अहसास
इन शब्दों में भर रंगों को आप को शुभ होली
अल्हड़, अलमस्त, अलहदा फागुन का है मास।

शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

ताश के पत्तों की तरह फेंट रहा दिल
कोशिश यही कि जाएं खूब हिलमिल
दिल का मिलना है जैसे सूर्यमुखी खिलना
और फिर चहक उठें दिल दो खिल-खिल

सब प्यार की चादर से दुआ प्रीत की मांगें
अरमान दिल में संग मीत को लिए भागें
छू न सके छाया, माया, प्रतिकाया कातिल
चाहत के धागों से जो सजी चुनरी झिलमिल

परिचय में प्रस्फुटित एक नया मचान है
नयनों में अंकित प्रेम का फरमान है
तरल भावनाएं उमंगित रही तलाश साहिल
परिचय भी हो गहरा यूँ तो चाहे नई मंजिल

खयालों में शब्दों में सब समेट रहा हूँ
उत्साह लिए दिल को नित फेंट रहा हूँ
एक शबनमी सुबह से मिले रश्मियाँ खुशदिल
क्या बात रहे फिर जो जवां दिल जाएँ मिल।

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

स्मिति की परिधि में उल्लास तुम्हारा
एक शक्ति पुंज का मिल गया है सहारा
मैं भ्रमर सा यायावर पुष्प डाल का
एक डाल ज़िन्दगी का बन गयी है नज़ारा

स्पंदन, शीतल चन्दन, भाव में वंदन
जिस क्षण हम मिले उस पल का अभिनन्दन
कश्ती को लहरों का मिला है सहारा
सागर की हुंकारों में है नाम तुम्हारा

उलझी ना डगर है पर पेंच मगर है
कुछ दूरियां कुछ व्यस्तताओं का समर है
धड़कनों को अनवरत तुम्हारे नाम का सहारा
तुम विश्व हो और अभिसार का चौबारा

पल्लवित, पुष्पित तुम्हारी हर क्यारी है
ह्रदय में विभिन्न छटाएं ही तुम्हारी हैं
अनुभूतियों ने क्षण को निखारा है संवारा
स्मिति की परिधि में विश्वास का नजारा।

रविवार, 19 अप्रैल 2015

तुम हो मेरे साथ तो

ज़िंदगी की कैसी यह चाल है 
ऊबड़ खाबड़ अनचीन्ही टाल है 
मंद है तो द्वंद है कभी अति प्रचंड 
तुम हो मेरे साथ तो एक ताल है 

सागर के थपेड़ों का था एक खौफ 
जीवन प्रवाह में तो कई कमाल है 
शीर्ष पर आसीन भूमि पर गिरे 
वर्चस्वता के लिए वर्चस्व का अकाल है 

तुम ना होती साथ तो होता क्या 
हर कदम पर चुनौतियों का द्वारपाल है 
तुम हो शृंगारपूरित या कि शक्तिस्वरूपा 
तुमसे ही उन्नत यह भाल है 

नर नारी का सम्मिश्रण सफल जीवन 
एक अकेला तो महज एक काल है 
नारी है आधार जीवन महल का सशक्त 
नर तो सामाजिक सक्रिय चौपाल है। 



भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता, 
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

शनिवार, 8 जून 2013

तुम्हारे लिए

एक बार मेरे -ख़यालों के दरमियाँ
तेरे हुस्न का नशा एहसास नर्मियाँ
देता है मुझे बांध ऐसी नाज़ुक डोर से 
छा जातीं हैं दिल पर अनजान बदलियाँ 

मेरी परिधि की सीमा छोटी या बड़ी
मिलती हो तुम खड़ी उढ़की ले खिड़कियाँ
गलियों से गुजरना आसान ना लगे 
नज़रों से लोग देते हैं बेखौफ घुड़कियाँ 

बदनाम ना हो जाऊँ पर तुमको पा जाऊँ 
कैसे तुम्हें सुनाऊँ चाहत की सिसकियाँ 
खिंचता हूँ तुम्हारी ओर ना ओर ना छोर 
दिल करता बड़ा शोर अब लो ना चुटकियाँ।  



भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
 दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

तंत्र ज़िंदगी के


मेरी व्यथा, मात्र वेदना नहीं है
सत्य यह कि, कहीं चेतना नहीं है
संघर्ष के जहां में, बस कमान लिए  
लक्ष्य की प्रतीति, पर भेदना नहीं है

तंत्र ज़िंदगी के सब, स्वतंत्र लगे
हम क्या लगे कि, बस यंत्र लगे
मंत्र कोई अपना असर भूल जाये
नियंत्रण कहीं और देखना कहीं है

क्षुब्ध है वही, जो यहाँ प्रबुद्ध है
गुप्त है वही यहाँ, लगे जो सुबुद्ध है
परत दर परत, उखड़ रही हैं सलवटें
एक सहमे को पकड़, कहें यही है

आपका व्यक्तित्व हमेशा है रुपहला
दृष्टि जो देखे उधर तो नज़र चला
एक आकर्षण है पर कई दुमछला
निर्णय तो कई पर योजना नहीं है।     



भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता 
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

नारी


जीवन, जगत, जश्न भरी किलकारी

संभव वहीं जहां पुलकित है नारी

व्योम सी विशालता धारा सा सहन
सूरी सी प्रखरता चन्दा सी शीतल न्यारी
सृष्टि की रचयिता समाज की सशक्तता
प्रखरता, प्रांजलता,प्रस्फुटन की क्यारी

एक गहन वृक्ष है और सघन छांव
संरक्षण, सुरक्षा, संरक्षा, सुधि सारी
परिवार, समाज और देश देखे एकटक
जीत का प्रयास करे विजय की तैयारी

धन्य है समाज पाकर यह कोमलता
सौम्य, शांत, सहृदय, सुगम सुकुमारी
पर प्रचंड अति विहंग, दबंगता से दबंग
विविधता विस्तार कर रचे नए फुलवारी।    

   



भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता, 
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है 
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.