चेहरे प्रसन्न दिखें अंतर्मन रहे सिसकते
तार-तार हो गए पर हैं तार से अब रिश्ते
मोबाइल से बात है कम खुशी या गम
उड़ रहा है उड़ता जा देखते हैं अब दम
एक चुनौती प्रतियोगिता सब अंदर रिसते
तार-तार हो गए पर हैं तार से अब रिश्ते
दोनों छोर तार की पकड़ जर्जर ले अकड़
एक बैठा देखते कब दूजा चाहे ले पकड़
मानसिक द्वंद्व है ललक मंद है खिसकते
तार-तार हो गए पर हैं तार से अब रिश्ते
इलेक्ट्रॉनिक सुविधाओं में घुल रहे संबंध
खानदानी समरसता जैसे भटका विहंग
अविश्वासीआंच पर संबंध जलते सिंकते
तार-तार हो गए पर हैं तार से अब रिश्ते।
धीरेन्द्र सिंह
19.07.2025
19.44
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