शीतलता सुगंध अद्भुत मलय है
रिश्ते भी ऐसे असीमित वलय हैं
प्रसिद्धि पहचान अद्भुत पनपना
श्रेष्ठ सुंदर सुरभि का ले सपना
कहीं से उलीचे कहीं का लय है
रिश्ते भी ऐसे असीमित वलय है
स्व से द्वय फिर जुड़ते ही जाएं
कुछ से दिल मौन कुछ को गाए
यहां का वहां का रिश्ता प्रलय है
रिश्ते भी ऐसे असीमित वलय है
हर तरंगित रिश्ते में स्व को जोड़ना
लगता कभी धारा को यूं ही मोड़ना
युक्ति कहे जुड़ जा कहता समय है
रिश्ते भी ऐसे असीमित वलय है।
धीरेन्द्र सिंह
08.02.2025
21.18
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें