गुरुवार, 9 जनवरी 2025

विश्व हिंदी

 विश्व हिंदी दिवस

दस जनवरी

बोल रहा है 

बीती विभावरी,


अब न वह ज्ञान

न शब्दों के प्रयोग

नव अभिव्यक्ति नहीं

विश्व हिंदी कैसा सुयोग,


घोषित या अघोषित

यह दिवस क्या पोषित

क्या सरकारी संरक्षण

या कोई भाव नियोजित,


न मौलिक लेखन

न मौलिक फिल्माकंन

ताक-झांक, नकल-वकल

क्या है अपने आंगन ?


हिंदी की विभिन्न विधाएं

कभी प्रज्वलित तो फडफ़ड़ाएं

भाषा संवर्धन पड़ा सुप्त

हिंदी की मुनादी फिराएं।


धीरेन्द्र सिंह

09.01.2025

15.44



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