समूह
एक प्राकृतिक व्यूह
सृष्टि में
दिखता है चहुंओर
इसीलिए
जीवन है एक शोर,
शांति या सन्नाटा
जीवन का है
ज्वार-भाटा
सागर जल की तरह
रहता है आता और जाता,
शीत ऋतु आते ही
हो जाता प्रमुख समूह
असंख्य विदेशी पक्षियों संग,
सागर तट पर ढूर-ढूर तक
अधिकांश धवल कुछ रंगीन
समूह हो उठता है मुखरित,
प्रातः सागर तट पर
साइबेरियन पक्षी नाम से
होते हैं सम्मिलित
कई विदेशी पक्षी
और सागर तट भर जाता है
अनजान, अपरिचित, आकर्षक
असंख्य, अद्भुत पक्षियों से,
अटल बिहारी सेतु
कराता है दर्शन इसका
गुजरते वाहनों को,
अब बहुत कम संख्या में
रह गए हैं पक्षी
हो गया है समाप्त इनका महाकुम्भ
तट को साफ कर रहे हैं
समूह गठित पक्षी।
धीरेन्द्र सिंह
28.01.2025
04.03
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें