निभ जाने और सौगात की बात है
कुछ कहें, दीवाने औकात की बात है
हर दृष्टि हर ओर से नापती पहले
हर सृष्टि हर पल ले साजती पहले
हर बुद्धि करे विश्लेषण जो नात हैं
कुछ कहें, दीवाने औकात की बात है
हर कोई नापता, तौलता चले जीवन
हर कोई कांपता, हौसला करे सीवन
प्रभाव ऊंचे ही रहें करते हियघात हैं
कुछ कहें, दीवाने औकात की बात है
बदल चुका बहल रहा अब परिवर्तन
अपनी तरह जी लें कर नव संवर्धन
आवरण सहित स्वार्थ लक्ष्य साथ है
कुछ कहें, दीवाने औकात की बात है।
धीरेन्द्र सिंह
03.08.2024
08.09
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