यह ना सोचिए कि हम बात नई करते हैं
उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं
एक सुगबुगाहट,गुदगुदाहट की अनुभूतियां
ध्यान में डूब जाती हैं सब जग नीतियां
आपकी स्पंदनों से भाव छुईमुई करते हैं
उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं
उनकी डीपी ही है उनका ज्ञात स्थूल रूप
भावनाओं की तारतम्यता में क्या स्वरूप
अलौकिन चेतनाओं में ही मीत उभरते हैं
उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं
अति सूक्ष्म तरंगित होता है जीव प्यार
प्रत्यक्ष हो न हो अचेतन करता स्वीकार
प्यार की गहनता में शब्द सीप तरते हैं
उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं।
धीरेन्द्र सिंह
15.07.2024
05.23
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