गौरैया दिवस 20 मार्च 2024 के लिए :-
मेरे घर मुंडेर ना कोमल छैयां
आती न मुंडेर अब वह गौरैया
ना दाना का मोह ना चाहे पानी
फुदकन नहीं उसकी है नादानी
घूम रही भटक अब ताल-तलैया
आती न मुंडेर अब वह गौरैया
मेरे मुंडेर पर थी फुदकन आजादी
था मैं बतियाता बिना किए मुनादी
किसी ने बहकाया कर ता-ता थैया
आती न मुंडेर अब वह गौरैया
गर्दन और आंखे थी कितनी चंचल
भोली थी सह
ज थी जैसे कलकल
समझ गई बहेलियों से घिरी है नैय्या
आती न मुंडेर अब वह गौरैया।
धीरेन्द्र सिंह
20.03.2024
12.53
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