बुधवार, 18 अक्टूबर 2023

सरणी

 देखी हो कभी

प्रवाहित सरणी

हृदय की,

बैठी हो कभी 

तीरे

निःशब्द, निष्काम

हृदय धाम

नीरे-नीरे,

देखी हो चेहरा

तट पर ठहरे जल में

धीरे-धीरे,

एक गंगा है

हृदय प्रवाहित

आओ

 हाँथ में दिया लिए

प्रवाहित कर दें

भांवों को संयुक्त,


मुड़ जाएं अपनी राह

जहां चाह।


धीरेन्द्र सिंह

18.10.2023

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें