यह लोग जो संस्कार की बात करते हैं
जाने शोर किस अधिकार की करते हैं
प्यार यदि छलक सतह पर है निखरता
यही लोग प्यार का धिक्कार करते हैं
यह कभी लगा नहीं शुष्क मन इनका
मनोभावों में यह भी श्रृंगार करते हैं
सारा संस्कार प्यार रचित बातों पर ही
संस्कार बांधकर क्यों व्यवहार करते हैं
भ्रष्टाचार, झूठ बोलना, डीपी गलत लगा
व्यक्तित्व मुखौटा अस्तित्व नाद करते हैं
ईश्वर भी है प्यार तो प्यार भी है ईश्वर
नश्वर बारंबार नव ईश्वर पुकार करते है।
धीरेन्द्र सिंह
01.06.2025
13.00
सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएं