मंगलवार, 5 नवंबर 2024

छठ

 आस्था की अर्चना के

पहुंचने से पहले

तालाब तीर बिछ जाती हैं

कामनाएं,

खिंच जाती हैं लकीरें

प्रस्तुत करते स्थल दावे,


शाम और सुबह

होगा अद्भुत दृश्य,

जल और सूर्य का

गहन अलौकिक संबंध

जहां व्रती अर्चनाएं

ही जाएंगी आच्छादित

उगते सूर्य रश्मि को

गठिया लेने प्रसाद सा,


महानगर की कुछ दृष्टि

नहीं छुपा पाएंगी

अपना हतप्रभ कौतुकता,

जल में खड़े होकर

सूर्य उपासना?,

क्यों? कैसे? किसलिए?

हर वर्ष यह तालाब तट

सिखलाता है छठ महात्म्य

कुछ अबूझे लोगों को,


संस्कार, संस्कृति, सद्भावना

अपनी शैली शुभ कामना

तालाब किनारे की तप साधना

लेकर भौगोलिक विस्तार

छठ का कर रही प्रसार

रवि जल का कलकल

आस्था का यह अद्भुत बल,


कवि सदियों से लिखते आ रहे

चाँद का जल पर प्रभाव,

क्यों नहीं लिखते उन्मुक्त

जल का सूर्य से यह निभाव।


धीरेन्द्र सिंह

05.11.2024

15.58



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