बुधवार, 13 नवंबर 2024

यद्यपि

 यद्यपि तुम तथापि किन्तु

वेगवान मन कितने हैं जंतु


विकल्प हमेशा रहता सक्रिय

लेन-देन भावना अति प्रिय

आकांक्षाओं के अविरल तंतु

वेगवान मन कितने हैं जंतु


जड़ अचल झूमती डालियाँ

एक घर, हैं अनेक गलियां

व्यग्रता व्यूह निरखता मंजू

वेगवान मन कितने हैं जंतु


अपने को अपने से छुपाना

खुद से खुद का बहाना

जकड़न, अकड़न तड़पन घुमंतु

वेगवान मन कितने हैं जंतु।


धीरेन्द्र सिंह

14.11.2024

08.28