सोमवार, 28 अक्तूबर 2024

अनुष्ठान हो गया

 मैं खुद में खुद का अनुष्ठान हो गया

मंदिर की गली का मिष्ठान हो गया


उपहार में प्राप्त कई आत्मीय आभास

परिवेश मेरा भर दिए मिठास ही मिठास

मधुरता के व्योम में गुमान हो गया

मंदिर की गली का मिष्ठान हो गया


रंगबिरंगी लड़ियों में जुगलबंदी के तार

एक लड़ी दूजे की ज्योति करे स्वीकार

घर जगमगा रहे बढ़ा तापमान हो गया

मंदिर की गली का मिष्ठान हो गया


विधान का संविधान यह निज अनुष्ठान

अपनत्व से आपूरित हैं सारे ही मेहमान

इस भावुकता में अनुभव कमान हो गया

मंदिर की गली का मिष्ठान हो गया।


धीरेन्द्र सिंह

28.10.2024

19.20