मैं खुद में खुद का अनुष्ठान हो गया
मंदिर की गली का मिष्ठान हो गया
उपहार में प्राप्त कई आत्मीय आभास
परिवेश मेरा भर दिए मिठास ही मिठास
मधुरता के व्योम में गुमान हो गया
मंदिर की गली का मिष्ठान हो गया
रंगबिरंगी लड़ियों में जुगलबंदी के तार
एक लड़ी दूजे की ज्योति करे स्वीकार
घर जगमगा रहे बढ़ा तापमान हो गया
मंदिर की गली का मिष्ठान हो गया
विधान का संविधान यह निज अनुष्ठान
अपनत्व से आपूरित हैं सारे ही मेहमान
इस भावुकता में अनुभव कमान हो गया
मंदिर की गली का मिष्ठान हो गया।
धीरेन्द्र सिंह
28.10.2024
19.20