शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

तेजस्विता

कौन देखता है नारी की ओजस्विता

गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता

 

चहारदीवारी में कर अभिनव चित्रकारी

घर निर्मित करती सदस्य हितकारी

अपने संग घर की संभाले अस्मिता

गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता

 

माना नर-नारी से निर्मित विद्यमान

पुरुष तपती धूप नारी तो है बिहान

झंझावातों में धारित लगे सुष्मिता

गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता

 

गृहस्थी दायित्व चुनौतियों का आसमान

नारी श्रृंगार घर छवि रचयिता अभिमान

थक कर समस्या उलझ अकेली जीवटता

गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता।

 

धीरेन्द्र सिंह

20.07.2024

11.18



पूछे दिल

आपकी अदा सदा रहती बुदबुदा

अक्सर पूछे दिल फिर से बता


एक संगीत धुन सी लगें गुंजित

ध्यान हो धन्य अदा में समाहित

जैसे भित्ती चढ़ती बलखाती लता

अक्सर पूछे दिल फिर से बता


झूम कर जो चलें प्रकृति झूम जाए

आपकी दिव्यता से भव्यता मुस्काए

मुग्ध तंद्रा में दिल अंतरा दे सजा

अक्सर पूछे दिल फिर से बता


यह पूछना प्रश्न नहीं ललक संवाद

दिल में क्यों होता अदाओं का निनाद

क्या प्रणय अव्यक्त की यही सजा

अक्सर पूछे दिल फिर से बता।


धीरेन्द्र सिंह

20.07.2024

09.30




देशभक्ति

 राष्ट्रप्रेम व्यक्तित्व शौर्य जतलाएं

सीमाओं को सुरक्षित करते जाएं

एक युवक नहीं पूरा परिवार है

योद्धा सभी क्षत्रीय धर्म ही निभाएं


एक युवती फौजी की बन पत्नी

समय अधिक प्रतीक्षा में बिताए

कब मिलेगी छुट्टी सजन को

खुशियां लुटाते द्वार को जगमगाएं


आती जब वीरगति प्राप्त सूचना

हिय प्रिय से मिलन को फड़फड़ाए

सिंदूर सुहाग ठगा सा है कंपकंपाता

तिरंगे में लिपटी देशभक्ति गुण गाए।


धीरेन्द्र सिंह

20.07.2024

07.14