पर्वतों की तलहटी
श्वेत नदी अनुभूति
सूर्योदय संग उठती
बदरी सी दे प्रतीति
धीरे-धीरे उठते बादल
जैसे पहाड़ी गीत
गहन सघन गगन
पर्वत आगे श्वेत भित्त
कोहरा या बादल
हैं पहाड़ मीत
हैं पहाड़ बतलाते
प्रकृति जीव रीत
सब धवल उन्मुक्त
हवाएं रच गीत
पहाड़ियों की गुंजन
ऊर्जा उत्साहित सींच।
धीरेन्द्र सिंह
19.10.2024
20.23, महाबलेश्वर