व्यथा लिखे तो हो जाएगी कथा
यथा प्यार के नए भाव तू रचा
टीस पीड़ा की सामाजिक दलन
बकवास है, बता सिहरनी छुवन
सावन में पूजा पर श्रृंगार बता
यथा प्यार के नए भाव तू रचा
व्यक्तिगत जीवन में नई चुनौतियों
फिर क्यों पीड़ा व्यथा हो दर्मियाँ
दर्द भूलें मर्ज को देते हुए धता
यथा प्यार के नए भाव तू रचा
लेखन को लगता क्या लेखन महत्व
रचना में प्रेम, हास्य खोजे निजत्व
ऐ रचनाकार अन्य विधा न जता
यथा प्यार के नए भाव तू जता।
धीरेन्द्र सिंह
07.08.2024
10.31
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