निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 22 मई 2025

आप और बारिश

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 बरसात आती है जैसे आती हैं आप घटाएं आती हैं जैसे आपकी यादें, वह तपिश क्षीण हो जाती जैसे बादलों से ढंका सूर्य और परिवेश पुलकित हो बारिश की बू...

युद्ध

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 लिख ही देता हूँ कलम ना थरथराती नियमावली के अनेक प्रावधान है मनुष्यता ही मनुष्यता का करे दमन दर्द व्यंजित धरा का क्या निदान है प्रेम की बोली...

अभ्यास

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 चेष्टाएं प्रबलता की सब करें अनुभवी अभ्यासी ही यूं चलें अन्य अंधी दौड़ में उलझे कहें साधक बन क्यों एकलक्षी गलें जो चमकता दिखे, है अभ्यास वर्ष...
मंगलवार, 20 मई 2025

चाय या तुम

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 झुकती लय टहनियां वाष्पित झकोरे एक चाय सी हो लगती तुम भोरे-भोरे एक घूंट चाय सा लगता है संदेशा गर्माहट भरी मिठास अनुराग सुचेता गले से तन भर झ...

नारी

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 आप मन प्रवाह की तीर हैं कल्पना प्रत्यंचा अधीर है स्वप्न गतिशील सुप्त गुंजित संकल्पना सज्जित प्राचीर है सौम्यता से सुगमता संवर्धित उद्गम उल्...

प्रतीक्षा

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 नयन बदरिया पंख पसारे पाहुन अगवानी को धाए अकुलाहट से भरी गगरिया मन छलकत नेह भिगाए साँसों की गति अव्यवस्थित स्थिति खुद को अंझुराए गाय सरीखा उ...
सोमवार, 19 मई 2025

क्या करता

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 मन मसोसकर जीवन  है विवशता कहावत सही, मरता न क्या करता आप बाग-बाग सी महक-महक गईं अभिलाषाएं प्यार की मचल लुढ़क गई अप्रतिम हो व्यक्तित्व मन है ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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