निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 30 जून 2025

नारी

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 कभी देखा है जग ने एकांत में अकेले बुनते हुए वर्तमान को भविष्य को निःशब्द, कभी देखा है पग ने देहरी से शयनकक्ष तक बिछी पलकों का गुलाबी आभा मं...

अभिमत

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 अभी मत अभिमत देना आंच को निखार दो तलहटी कच्चा हो तो नहीं पक पाते मनभाव नहीं चाहेगा कोई इसमें निभाव, दहक जाने दो लौ लपक जाने दो, चाहत की तसल...
रविवार, 29 जून 2025

मुक्तिवाद

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 एक बात पर संवाद कर निनाद एक नाद भर विवाद पर आबाद मेरे मन में चहलकदमी आपकी चलता रहे यह और मैं रहूं नाबाद एक युद्ध है जीवन एक खेल भी एक मेल आ...
बुधवार, 18 जून 2025

आँचल

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 छुपा लो मुझे अपने आँचल में मुझको मुझे माँ की आँचल की याद आ रही है छोड़ो रिश्ते की दुनिया की यह सब बातें कहो आँचल यह हां तड़पन छुपा रही है नार...
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शाम की चर्चा

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 विषय भी मेरा, वक्ता भी चयनित संचालन खुद का, होता है नित होते ही शाम सज जाते चैनल कुछ सार्थक कुछ जोड़ें पैनल भाव आक्रामक भाषा अमर्यादित संचाल...
मंगलवार, 17 जून 2025

तत्व और भाव

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 तत्व की तथ्यता यदि है सत्यता भाव की भव्यता कैसी है सभ्यता तत्व और भाव अंतर्द्वंद्व जीवन के रचित जिस आधार पर है नव्यता अपरिचित भी लगे सुपरिच...

शब्द ले गया

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 कोई मेरा शब्द ले गया भावों के आंगन से निर्बोला सा रहा देखता झरझर नयना सावन से कुछ ना बोली संग अपनी टोली चुप हो ली यहां हृदय उत्कीर्ण रश्मिय...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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