निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 22 जून 2024

उलीचता मन

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  उलीचता मन तो सद्भाव , दुर्भाव है इसी क्रम में जिंदगी का निभाव है आप एक प्रश्न हैं असुलझी सी कहीं सुलह हो जाए यह काल्पनिक दबाव है  ...
शुक्रवार, 21 जून 2024

प्यार भी विवशता

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  बस यही खयाल है काल्पनिक धमाल है प्यार की रंगीनियाँ मन के कई ताल हैं   खींच ले हृदय भाव फिर अबीर गुलाल है भावनाएं नदी उफनती ...
बुधवार, 19 जून 2024

छूकर दिल

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 हल्के से छूकर दिल निकल गई बहकती हवा थी या तेरी सदाएं एक कंपन अभी भी तरंगित कहे ओ प्रणय चल नयन हम लड़ाएं महकती हैं सांसे दहकती भी हैं चहकती भ...
मंगलवार, 18 जून 2024

तुम

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 होती है बारिश, बरसते हो तुम कहीं तुम, सावनी घटा तो नहीं आकाश में हैं, घुमड़ती बदलियां कहीं तुम, पावनी छटा तो नहीं बेहद करीबी का, एहसास भी है...
सोमवार, 17 जून 2024

मांजने को पद्य

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 उसने कहा था पद्य से अच्छा लिखते गद्य कविता से मैं उलझ पड़ा मांजने को पद्य लगा बांधने उसको शब्दों की वेणी में काव्य-काव्य ही रच रहा उसके श्रे...

नारी

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 मोहब्बत नहीं बस प्यार चाहिए सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए शायरी की संस्कृति में है पर्देदारी काव्य सर्जना में सर्वनेत्री है नारी नारी का सर्वा...

ब्लॉक

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 प्यार की परिणीति होती है आध्यात्म ब्लॉक हैं तो ना सोचिए प्यार समाप्त तेवर, कलेवर, अहं, सुनी-सुनाई बात लोग चाहें डुबोना करते हैं मीठे घात सो...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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