सोमवार, 17 जून 2024

नारी

 मोहब्बत नहीं बस प्यार चाहिए

सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए


शायरी की संस्कृति में है पर्देदारी

काव्य सर्जना में सर्वनेत्री है नारी

नारी का सर्वांगीण शक्तिधार चाहिए

सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए


घूंघट उठाकर चेहरा देखना अपमान

शौर्य भक्ति पर नारी को है अभिमान

नारी संचालित मुखर स्वीकार्य चाहिए

सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए


मूल भारतीय संस्कृति है नारी उन्मुख

एक भव्य नारी इतिहास है विश्व सम्मुख

ऑनलाइन आक्रमण भंजक वार चाहिए

सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए।


धीरेन्द्र सिंह

18.06.2024

09.45


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