निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 17 मई 2025

नाद है

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 करतल ध्वनियों का निनाद है किसकी जीत का यह संवाद है किन उपलब्धियों के विजेता है संघर्ष निरंतर है और विवाद है इतिहास की हैं कुछ गलतियां विश्व...
गुरुवार, 15 मई 2025

भय

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 कई दिनों से उनके और मेरे बीच बंद थी चैटिंग, उन्होंने बंद नहीं की और न मैंने चैटिंग बंद की मेरे भय ने, चैटिंग के प्रवाह में एक बार भावना में...
बुधवार, 14 मई 2025

साहित्य धुरंधर

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 लेखन के धुरंधर अपनी रचनाओं के अंदर पुस्तक प्रकाशन, मंच इनका है समंदर समीक्षक धुरंधर को देते लेखन लोकप्रियता वरना कई श्रेष्ठ लेखन पाते हैं प...
मंगलवार, 13 मई 2025

रुचिकर

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 लकड़ियों की छांव में, वनस्पति अनुभूति भावमाओं के गांव में, शाब्दिक अर्थरीत रचनागत गहनता में ढूंढते पगडंडियां ही कदम गतिमान नहीं कहें प्रगति ...
सोमवार, 12 मई 2025

जुड़ाव कहां

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 तिथियों में कथ्य बंट गए सत्य भी पथ्य में अंट गए पहले सा ना रहा दिखावा भी रिश्ते कैसे-कैसे सिमट गए अब मोबाइल की है धड़कन जब बजे उछल पड़े तड़पन ...
रविवार, 11 मई 2025

शब्द

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 शब्द आतिथ्य में भावनाओं का गबन आप जैसा ही शब्द करता है मनन क्या कहा आपने लगा कि आप कह गईं आपको सुनने की कोशिश कहीं बहल गई कभी समझा ना कभी स...
शनिवार, 10 मई 2025

आप

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 आप छूती हैं गुदगुदाती हैं एक हवा सी गुजर जाती है लाख कोशिशें समझ न पाईं आप क्या-क्या बुदबुदाती हैं एक झोंका सुगंधित छू भागा ऐसी शरारत कुहुक...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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