निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 27 अगस्त 2024

बूंदे

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  बूंदों ने शुरू की जब अपनी बोलियां सखी - सहेलियों की उमड़ पड़ी टोलियां   सड़कों पर झूमता था उत्सवी नर्तन हवाएं भी संग सक्रिय गति परिवर...

भवितव्य

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 नेह का भी सत्य, देह का भी कथ्य इन दोनों के बीच है कहीं भवितव्य शिखर पर आसीन दूरदर्शिता भ्रमित तत्व का आखेट न्यायप्रियता शमित चांदी के वर्क ...
सोमवार, 26 अगस्त 2024

कामनाएं

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 उम्र की बदहवासी सारी उम्र सताए खासी मन गौरैया की तरह रहता है फुदकता कभी डाल पर कभी मुंडेर पर; मिटाती जाती है वह पंक्तियां जिसे लिखा था मनोय...
रविवार, 25 अगस्त 2024

रचनाएं

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 आपकी रचनाएं दौड़ रही हैं बनकर लहू चाहतों से और क्या कहूँ- आपके रचना भाव बरगद की घनी छांव सुस्ताती जिंदगी है शीतल मंद बयार और खूब गेहूं; आपके...
शनिवार, 24 अगस्त 2024

हथेली

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  पौधे की टहनी खिला हुआ फूल पकड़ी हथेली देख फूल गया भूल   गुलाबी गदरायी हथेली पौधे को दे तूल पुष्प खिलाया अभिनव जैसे हथेली फू...

ठरकी

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 चालित, स्वचालित या संचालित यूं रहस्यमय हों जैसे कापालिक पूर्णता, अपूर्णता या संपूर्णता प्रगति के दौर बड़े तात्कालिक रात्रि अलाव दिखा अग्नि भ...
शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

कुंवारी सांझ

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 एक कुंवारी सांझ हो तुम कोमल मद्धम आंच हो  दिन बहुत छका चला अब एक तुम्ही सहेली साँच हो उपवन में सब फूल सूख रहे तुम ही करुणा गाछ हो जरा ठहर स...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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