नेह का भी सत्य, देह का भी कथ्य
इन दोनों के बीच है कहीं भवितव्य
शिखर पर आसीन दूरदर्शिता भ्रमित
तत्व का आखेट न्यायप्रियता शमित
चांदी के वर्क के नित नए वक्तव्य
इन दोनों के बीच है कहीं भवितव्य
इस तरफ उस तरफ योजनाबद्ध शोर
कोई चाहे दे पटखनी कोई कहे सिरमौर
इन द्वंदों में लोग भूल गए गंतव्य
इन दोनों के बीच है कहीं भवितव्य
गुटबंदियाँ चाय पान की सजी दुकान
चौहद्दियाँ हों विस्तृत लगाते अनुमान
महत्व विकास गौण, निज लाभ घनत्व
इन दोनों के बीच है कहीं भवितव्य।
धीरेन्द्र सिंह
27.08.2024
20.05
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