निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 25 अगस्त 2024

रचनाएं

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 आपकी रचनाएं दौड़ रही हैं बनकर लहू चाहतों से और क्या कहूँ- आपके रचना भाव बरगद की घनी छांव सुस्ताती जिंदगी है शीतल मंद बयार और खूब गेहूं; आपके...
शनिवार, 24 अगस्त 2024

हथेली

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  पौधे की टहनी खिला हुआ फूल पकड़ी हथेली देख फूल गया भूल   गुलाबी गदरायी हथेली पौधे को दे तूल पुष्प खिलाया अभिनव जैसे हथेली फू...

ठरकी

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 चालित, स्वचालित या संचालित यूं रहस्यमय हों जैसे कापालिक पूर्णता, अपूर्णता या संपूर्णता प्रगति के दौर बड़े तात्कालिक रात्रि अलाव दिखा अग्नि भ...
शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

कुंवारी सांझ

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 एक कुंवारी सांझ हो तुम कोमल मद्धम आंच हो  दिन बहुत छका चला अब एक तुम्ही सहेली साँच हो उपवन में सब फूल सूख रहे तुम ही करुणा गाछ हो जरा ठहर स...
गुरुवार, 22 अगस्त 2024

अनबन

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 कथ्य की कटोरी में भावनाओं की छलकन समझ ना पाएं हो जाती है अजब अनबन कथ्य एक प्रकार कथा, भावनाएं मनोव्यथा कहनेवाला कहे यथा भावनाएं होती तथा अभ...
बुधवार, 21 अगस्त 2024

मैसेंजर

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  पहली बार जो देखा उनका फोटो गाल गुलाल कमाल धमाल समान मुग्धित मन सौंदर्य निरखते बहका देने लगा नयन , अधर को सम्मान   चलते - चलते भा...
मंगलवार, 20 अगस्त 2024

कुहूक

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 तुम्हें जो सजा दूँ शब्दों से तुम्हारे महकने लगेंगे वह सारे किनारे जहां कामनाओं का उपवन सजा प्रार्थना थी करती सांझ सकारे एक संभावना हो दबाई ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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